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Subham Shaw

Others

5.0  

Subham Shaw

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चाहत...

चाहत...

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बढ़ चला हूँ जिस राह पे,

कोई मोड़ नहीं सकता,

यूँ नाज़ुक सी कोई डोर नहीं,

कोई तोड़ नहीं सकता,

तू गुरूर सा मेरा, मेरी

इबादत का इकरार है,

तू कोई गैर नहीं,

तू मेरा परवरदिगार है।


तू कहे की खौफ़ तुझे,

पल पल सताता है,

क्या वो खौफ़ नहीं, जो

तुझे हमारी अहमियत

जताता है ?

नादान है सब जो खौफ़ को,

मोहब्बत से तोलते हैं,

खौफ़ को बदनाम, और

मोहब्बत को मोलते हैं ।

दरअसल ये खौफ़,

उल्फत का फरमान है,

जिसे ना समझ पाए,

वो नासमझ इंसान है।


तू साथ तो थाम, सब से

लड़ जाऊंगा,

इश्क़ में हूँ, क्या नासमझों

से डर जाऊंगा ?

आज इस ज़माने को ये

हकीक़त सिखाएंगे,

दिल्लगी के शहर में, हम

मिसाल बन जाएंगे ।


ऐ ज़माने गौर फरमा,

तुझे बेहतर बनना होगा ।

रूहानियत का, बेख़ौफ़

सा एक,

मंज़र बनना होगा।

मोहब्बत की क्या बात करें,

लफ्ज़ भी बेज़ार है।

क्या धर्म, क्या जात पात,

ये मंदिर में मज़ार है।

ये कोई मज़मून नहीं,

जो लफ्ज़ बयां कर पाए,

ये एक एहसास है,

जो महज चाहत कह पाए ।

ऐ ज़माने तू रूहानीयत के वास्ते,

मुझपर बेड़ियाँ कस देगा,

तेरी झूठी वकालत पर वो

ख़ुदा भी हँस देगा ।


सादगी के फ़रमान लिये तू

बग़ावत कर चला है,

तेरी जूनुनीयत के मारे,

हर पल आशिक जला है।

ये दायरे, ये बंदिशें,

ना जाने कौन बनाता है !

तेरी बला से साथ का मारा,

खुद को अकेला पाता है ।


सोच के पंछी को अब रिहा कर दे,

जाहिल से अंधेरे में, रौशनी भर दे ।

मोहब्बत भी खुदाई है,

बस सोच सोच की बात है,

कहीं हरम है, कहीं हया है, और

कहीं जज़्बात है।


बेसाख्ता मैं भी, मदहोश

हो चुका हूँ,

होश है मगर बेहोश हो

चुका हूँ ।

बग़ावत का शौक नही, ये

मेरी मज़बूरी है,

तेरी ही वजह से आज हम

दोनो में दूरी है ।

उल्फ़त के ही नाम पर सब

से लड़ जाऊंगा,

पल पल में जिऊंगा,

पल पल मर जाऊंगा।

मेरे भी उसूल है, तोड़ नहीं सकता,

थाम लिया जब हाथ है,

अब छोड़ नहीं सकता ।


ऐ ज़माने इस बार तेरा

हमसे सामना है,

यही जंग है, यही वकालत,

जिसमें हारना मना है ।

अपना ले ना मुझ को,

क्यूँ ज़िद पे अड़ा है,

मेरे मोहब्बत का गुरूर,

तेरी सोच से बड़ा है ।

मुड़ के के तो देख, तू किस

मोड़ पे खड़ा है,

तेरे ही वारिस से तू

आज आ लड़ा है।

यही मुख़्तसर, यही अंजाम है,

यही भरोसा, यही पैग़ाम है,


अब कुछ आहें मुझ को,

राहत के भरने दे,

अब और ना टोक मुझे,

तू प्यार करने दे ।    



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