ये तो शून्य के जन्म की पटकथा मात्र थी जिसकी रिक्तता मुझे आज तक अंदर ही अंदर खाए जाती है और शायद तुम्... ये तो शून्य के जन्म की पटकथा मात्र थी जिसकी रिक्तता मुझे आज तक अंदर ही अंदर खाए ...
केवल कुंवारियों के दिल ही नहीं मचले बल्कि कई सूरमाओं की पेशानियां भी फड़कीं ! केवल कुंवारियों के दिल ही नहीं मचले बल्कि कई सूरमाओं की पेशानियां भी फड़कीं !