Ulta chor kotval ko date
Ulta chor kotval ko date
एक राजा था, जिसके राज्य में प्रजा सुख से रहती थी। सभी चैन से बंशी बजाते थे। वहां कभी भी चोरी जैसी घटना नहीं होती थी। उस राज्य में एक राहगीर आया था और जब वह राजा के भव्य महल के पास से गुजर रहा था , तो उसने देखा कि महल के सारे चौकीदार सो रहे हैं। महल की भव्यता देख के, उसके मन में यह विचार आया कि महल को अंदर से देखना चाहिए।
जब वह महलके अंदर गया तो एक से एक सोने-चांदी के बेशकिमती सामान देखकर उसके मन में लालच आ गया और वह कुछ सामान अपने झोले मे डालकर निकल गया। सुबह महल के कीमती सामान गायब देखकर हल्ला मच गया कि महल मे चोरी हो गयी। राजा ने तुरंत अपने राजपाल एवं चौकीदार को बोला कि चोर को पकड़कर लाया जाए। पर चोर को कोई पकड़ ना सका। यह देखकर चोर की हिम्मत बढ गयी और उसने फिर से चोरी की।
जब दूसरी बार ऐसा हो गया तो राजा ने ऐलान कर दिया कि हर हालत में चोर को जिंदा या मुर्दा पकड़ के लाया जाए। अब तक राज्य के सारे चौकीदार काफी चौकन्ने हो गये थे। इस बार चोर काफी दिन बाद महल मे चोरी के इरादे से गया कि अबतक तो चोर को पकड़ने की बात शांत हो गयी होगी। लेकीन इस बार चोर चोरी करते समय रंगे हाथ पकड़ा गया और राजा के सामने लाया गया। राजाने उससे कहा "तुमने चोरी की है, तुम्हें इसकी सजा मिलेगी।"
यह सुनते ही चोर ने कहा " हुजूर ,आपने कैसे चौकीदार और राजपाल रखे हैं जो हमेशा रखवाली काम के समय सोते रहते हैं ,ऐसे तो आपका सारा धन ही लुट जाएगा। मैे तो बस इन की परीक्षा ले रहा था कि ये लोग कब अपना काम सही तरीके से करेंगे। मैं तो सामान भी वापस दे दूंगा" ऐसा कहकर चोर ने अपनी जान भी बचा ली और सारा दोष राजा के सिपाहियों पर मढ दिया।
यह कह कर कि " तुम लोग कितने लापरवाह हो ,अपने राजा की सारी संपत्ती लुटवा दोगे "। राजा सब कुछ समझते हूए भी कुछ न कह सके। उसके बाद ही यह मुहावरा कहा जाने लगा कि " उलटा
चोर कोतवाल को डांटे "।