समीकरण
समीकरण
जिसे हर पल पेट की चिंता हो,वह क्या सपने देखेगा ?पर समय भी तो करवट लेता है ।कल तक जो भीख मांगता था,वह अपनी मेहनत के बल पर झोपड़ी खड़ी कर ले तो सपने स्वतः चले आते हैं ।
रविवार का दिन था।फैक्टरी बंद होने के कारण वह अतीत के पन्ने पलटने लगा।एक बारगी वर्षभर पूर्व का दृश्य उसके मस्तिष्क में घूम गया।वह हाथ में कटोरा लेकर भीख मांगा करता था,साथ में रहती थी हर पल एक जर्जर काया उसकी माँ ।कोई भीख में खाने को कुछ दे देता,तो कोई गाली।सब कुछ सहना पड़ता था, निर्बल जो ठहरा।किसी तरह दिन कट रहे थे।
भीख मांगने के क्रम में एक दिन बीड़ी फैक्टरी के सामने पहुँचा।उसने भीख मांगने की रस्म "बाबूजी कुछ दे दो।भगवान तुम्हारा भला करेगा।"आदि अभी पूरी ही की थी कि फैक्टरी का मैनेजर उस पर घृणास्पद दृष्टि डालते हुए चीखा "क्यों रे छोकरे,सही सलामत तो खड़ा है फिर भीख क्यों मांगता है? हाथ में कीड़े पड़े हैं?मजदूरी करके क्यों नहीं खाता?" मैनेजर के मुँह बंद होने की प्रतीक्षा किये बगैर उसने कहा "पर बाबूजी काम पर कोई रखता ही नहीं । कहते हैं चोर-चुहाड़ है।आप ही कहीं काम दिला दो न।हमें भी भीख मांगना अच्छा नहीं लगता ।"
मैनेजर उसकी बातों को सुनकर आवाक् रह गया था। शायद उसने पहली बार किसी भिखारी और वह भी दस वर्षीय बालक की आंखों में भीख मांगने की शर्म और मेहनत करने की ललक देखी थी।मैनेजर ने तुरंत अपनी फैक्टरी में काम पर रख लिया था।तभी पांच वर्षीय बहन के गले से लिपट जाने से उसकी तंद्रा टूटी । अब वह नये दिवास्वप्न में खो गया।बहन को गरीबी की दलदल से निकालकर शिक्षित और योग्य बनाने तथा उसका विवाह एक अच्छे परिवार में करने की इच्छा ही इस स्वप्न में प्रभावी रही।
अगले दिन वह जैसे ही काम हेतु फैक्टरी पहुँचा । मैनेजर ने पूरे माह का वेतन देते हुए कहा , "कल से काम पर आने की आवश्यकता नहीं है ।" उसने आश्चर्यपूर्वक प्रश्न किया "क्यों साब?"
"दरअसल सरकार बच्चों की भलाई के लिए चिंतित है।इसलिए नशीली वस्तुओं का निर्माण करने वाली फैक्टरी में कम आयु के बच्चों से काम करवाने पर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिये गये हैं।नशीली वस्तु बनाने से कई भयंकर बीमारियाँ होती हैं।सरकार नहीं चाहती कि इन भयंकर बीमारियों का कुप्रभाव बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़े।" मैनेजर का उत्तर था।
वह शांतभाव से सुनता रहा।कुछ समझ पाया, कुछ नहीं।एक प्रश्न बार-बार उसके मन में उठ रहा था,यह कैसी भलाई करना चाहती है सरकार गरीब बच्चों की ?उसका तो पूरा सपना ही बिखर गया।वह बच्चों की भलाई वाले इस सरकारी समीकरण में नहीं उलझना चाहता था।
पूर्ववत् वह चौराहे पर कटोरा लेकर भीख मांगता हुआ नज़र आने लगा।
