माँ का ख़त बेटी के नाम
माँ का ख़त बेटी के नाम
मेरी लाडो
बहुत बहुत मुबारक हो,
आज तुम पूरे बीस की हो गई हो ...समय ने अपने पांव में मानो पहिये लगा लिए हो।
कब मेरी नन्ही सी राजकुमारी मेरी गुड़िया मुझे भी पार कर गई पता ही नहींं चला। तुम्हारी हँसी घर के कोने कोने में बसी है ..तुम्हारे साथ जैसे मैंने भी अपना बचपन जिया हो बहुत कमज़ोर थी तुम ज़रा भी चोट पहुँचते बेहोश हो जाती..उस पल मानो मेरी साँसे रुक सी जाती जैसे प्राण शारीर से निकलना चाहता हो ...जब तुम्हें पहली बार गोद में ली तुम्हारे नन्हें नन्हें हाथों को चूमा तभी खुद से एक वादा की। तुम पर कभी कोई आँच न आने दूँगी। दुनिया की हर बुरी नज़र से बचाये रखूँगी।
मेरी लाडो.. बहुत कोशिश करी हम दोनों के बीच माँ-बेटी से ज़्यादा दोस्ती का रिश्ता बना रहे, ऐसा हो न पाया, ज़िंदगी की जद्दोजहद और जिम्मेदारियों ने मुझे उलझाये रखा और तुमने भी कभी कोशिश न की दोस्ती करने की एक अच्छी बेटी बनी रही ...।
पहली बार माँ की छत्रछाया से निकल तुम बाहर की दुनिया में अपने कैरियर में ऊँची उड़ान भरने गयी हो।
जानती हूँ.... तुम खुद को संभाल लोगी बहुत अच्छे से अपनी इंसानियत को सहेजना अपने कैरियर के साथ साथ अपनों का और दोस्तों का ख़याल रखना खूब आता है।
टाइम मैनेजमेंट तो जैसे तुम्हारे हाथों की कठपुतली घडी की सुइयाँ तुम्हारे इशारे पे चलते हो। गर्व है मुझे मैं तुम्हारी "माँ हूँ.."
लेकिन लाडो... बाहर की दुनिया उतनी अच्छी नहीं। हर समय ताक लगाए बैठी होती है अच्छे लोगो को बर्बादी की ओर धकेलने के लिए ..कुछ खोखले वादों वाले लोग पूरी कोशिश करेंगे तुम्हारे उम्मीदों को कुचलने की जज़्बातों को मसलने और सुनहरे भविष्य को अन्धकार में धकेलने की .. तुम डरना नहीं उनसे डट कर मुकाबला करना।
मेरी लाडो ..दुनियाँ की चका चोंध में खुद को संभालकर रखना
मैं ये नहीं कहती नए लोगो से दोस्ती मत करो उनपे भरोसा मत करो .....करो लेकिन ठोक बजाकर उनको कसौटी पे परख कर ..।
अच्छा अब ख़त बंद करती हूँ ...
मैं तुम्हारी दोस्त तुम्हारी माँ कभी भी तुम्हें मेरी ज़रूरत हो तो बेझिझक कहना दूर रहकर भी हर पल तुम्हारे साथ खड़ी रहूँगी तुम्हारे हर नये कदम के साथ ..
उम्मीद है तुम मुझे समझोगी ..
तुम्हारी माँ।
