लालच का फल
लालच का फल
एक समय की बात है। दो दोस्तों ने परदेस जाकर धन कमाने का फैसला किया। जैसे ही वे दोनों घर से थोड़ी ही दूर गए उन्हें सामने से एक बूढ़ा व्यक्ति आता हुआ दिखाई दिया। वह बहुत भयभीत था। उसे देख कर एक दोस्त ने पूछा - बाबा ! आप इतने घबराए हुए क्यों चले आ रहे हो ? तभी बूढ़े व्यक्ति ने जवाब दिया कि इस रास्ते पर मत जाना क्योंकि आगे पिशाच है। दोनों दोस्त बूढ़े की बात को अनसुना करते हुए आगे बढ़ गए। थोड़ी ही दूर जाने पर उन्हें एक थैली मिली, जिसमें बहुत सी स्वर्ण मुद्राएं थी। उन्हें देखकर दोनों दोस्त बहुत खुश हुए और सोचा अब परदेस जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। तभी एक दोस्त ने कहा - मुझे बहुत भूख लगी है। दूसरे दोस्त ने कहा मैं खाना लेकर आता हूँ। जब वह खाना लेने जा रहा था, तब उसके मन में विचार आया कि प्राप्त स्वर्ण मुद्राओं में से आधी उसे अपने दोस्त को देनी पड़ेगी इसलिए क्यों ना मैं भोजन में जहर मिलाकर अपने मित्र को खिला दूँ और सारी मुद्राएं खुद रख लूँ। दूसरी और उसका मित्र भी यही तरकीब सोच रहा था। जैसे ही पहला मित्र भोजन लेकर आया दूसरे मित्र ने उसका गला दबाकर उसको मार दिया और उसके द्वारा लाया गया विषैला भोजन खाकर मर गया।
