खेल का महत्व
खेल का महत्व
बहुत पुरानी बात है राजू अपने माता-पिता के साथ रहता था ।राजू को खेलना बहुत पसंद था। वह रोज शाम को अपने दोस्तों के साथ खेलने जाया करता था। एक दिन राजू के पापा ने राजू से कहा , ''राजू मेरा तबादला दूसरे शहर में हुआ है, तो हमें यह शहर छोड़ कर जाना होगा। राजू ने कहां, " पर पापा, मेरे सारे दोस्तों यहां रहते हैं।" पापा ने राजू को कहा कोई बात नहीं बेटा नऐ शहर में नऎ दोस्त बन जाएंगे राजू बहुत दुखी था पर वह मान गया ।
कुछ दिनों बाद नऐ शहर में एक दिन जब राजू खेलने गया तो गार्डन में कोई भी नहीं था। वह वापस सोसाइटी में आगया । किसी एक पड़ोसी के घर की घंटी बजाई तो एक लड़के ने दरवाजा खोला । वह लड़का राजू कीही उम्र का था।
राजू ने कहा " हलो दोस्त , क्या तुम मेरे साथ खेलोगे ?"
लड़के ने कहां, "मैं खेल हीं तो रहा हूं !"
राजू बोला, "पर तुम तो फोन पर खेल रहे हो!" लड़के ने कहाकी बाहर बहुत धूप है तो मैं फोन पर ही खेलूंगा। फिर राजू दूसरे घर गया और अपना परिचय देते हुऐ कहां, "मेरा नाम राजू है, क्या तुम मेरे साथ खेलोगे ?" लड़के ने कहानहीं मैं तो फोनपर ही खेलुंगा। राजु आश्चर्य से उसे देखता रहा। लडके ने आगे कहां, "लगता है कि तुम फोन के बारे में कुछ नहीं जानते, आओ मैं तुम्हें सिखाता हूं"। राजू ने कहा नहीं नहीं मुझे नहीं सीखना। ऐसे करके राजू हर एक घर में गया सभी ने मना कर दिया । फिर वह अपने घर आगया।
रात को जब राजू के पापा घर आए तो उसने बडी नाराजी जताते हुए बताया की यहां तो कोई भी गार्डन में नहीं खेलता ।पापा ने कहा,"नहीं नहीं ऐसा कैसे हो सकता है सबको खेलना बहुत पसंद है तुम कल फिर से जाकर देखो "। राजू अगले दिन फिर से गार्डन में गया ।उसने देखा वहां आज भी कोई नहीं था । दूर एक लड़की खड़ी थी ।राजू लड़की के पास गया और उससे पूछा क्या तुम मेरे साथ खेलोगी? लड़की ने कहा मैं खेलूंगी पर दोनों में ही खेलने से मजा नहीं आएगा। दोनों ने राजू के पापा को सारी हकीकत बताई।राजू और सानू ने सभी दोस्तों को राजू ने घर पर बुलाया ।राजू के पापा ने बच्चों से कहाकी उन्होने गार्डन में एक फोन छुपाया है ।जो उस फोन को सबसे पहले ढूंढेगा वह फोन उसका हो जाएगा ।सब बच्चे दौड़ते हुए गार्डन में गए । सभी यहां वहां देखने लगे ।बहुत समय हो गया करीब आधा घंटा हो गया था, पर बच्चों को फोन नहीं मिला ।फिर वह सब बच्चे राजू के पापा के पास आए और सभी ने कहा , "अंकन गार्डन में कोई फोन नहीं है पर अब हम सब बहुत थक गए हैं । और हम सब को बहुत भूख भी लगी है ।" तभी राजू की मां सभी के लिए नाश्ता लेकर आती है और सभी बच्चे उसपर झपट पड़ते हैं। सब पेट भर नाश्ता करते हैं और राजू की मां का शुक्रिया अदा करते हैं ।और राजू के पापा को प्रॉमिस करते हैं कि अब वह सब रोज गार्डन में खेलने आया करेंगे क्योंकि उन सबको खुली हवा में भागदौड़ करके बहुत हल्का और फुर्तीला लग रहा हैं। इस पर राजू के पापा ने कहा गार्डन में खुली हवा में खेलने से ही हमारी सेहत बनेगी और हम तंदुरुस्त रहेंगे।
