Everything is illusion
Everything is illusion
कहते हैं प्यार करना बहुत आसान होता है और उसे निभाना उतना ही मुश्किल है मेरी भी कहानी कुछ इसी तरह थी। एक ऐसा प्यार जो जिंदगी भर का नहीं था पर इतना था कि जब तक वह मेरे साथ था वही मेरा जिंदगी था
हालांकि कहते हैं कि जिंदगी गाड़ी किसी का इंतजार नहीं करती तो मैं कौन सा सुपरमैन था ? मेरी भी गाड़ी निकल पड़ी और वह अपनी मंजिल की तरफ और मैं अपनी मंजिल की तरफ।
मैं रोशन कुमार झारखंड के एक खूबसूरत से शहर जमशेदपुर का रहने वाला बात उस वक्त की है जब मैं सत्रह साल का था और बारहवीं क्लास का लड़का जो कि अपनी लाइफ को समझ रहा था कि जिंदगी किस तरीके से जी जाती है। हालांकि इतनी समझ थी नहीं कि इस उम्र में मैं जिंदगी को समझ सकूं पर हां जिंदगी कब और कितनी दफा मेरी परीक्षा लेती थी यह मुझे बखूबी समझ आता था ।जिंदगी के कुछ ऐसे अनसुलझे पहेलियों के बीच में अपनी जिंदगी जी रहा था। तेरी मेरी जिंदगी में प्यार का फूल खिला और उसकी खुशबू में मैं बह गया जिसका नाम कुछ ऐसा था कि मुझे समझने में दिन दिन लगे फिर जब पता चला तो जिंदगी जीने का मजा आ गया।
मैं झारखंड के एक खूबसूरत शहर जमशेदपुर के बारीडीह से रहने वाला था और और मेरी फूल जिसका नाम अपराजिता था वह साकची की रहने वाली। दरअसल मेरे घर और उसके घर के बीच छह किलोमीटर का फासला था। हम ट्यूशन एक ही जगह करते थे और कॉलेज भी एक ही जगह हालांकि वह मेरे कॉलेज में पढ़ती थी मुझे यह बात छह महीने बाद पता चली जब मैं उसके साथ ट्यूशन करता था और वह मेरी फ्रेंड बनी थी। हां ,थोड़ी हंसने वाली बात है कितना बेवकूफ था मैं, मगर कहते हैं ना देर आए दुरुस्त आए मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। मेरी दोस्ती उसके साथ ट्यूशन में हुई और फिर हम एक दूसरे को जानने लगे ।सिलसिला कुछ यूं ही चलता रहा और देखते देखते हमने 12वीं की पढ़ाई पूरी की पर मुझे एक बेचैनी थी कि क्या हमारी दोस्ती यही तक थी या कुछ और लिखा था।
कुछ महीनों बाद जब मुझे पता चला कि वह इंग्लिश की कोचिंग के लिए कोई इंस्टीटूट जॉइन करने वाली है तभी मैंने भी निर्णय लिया कि मैं वहीं पर जॉइन करूंगा और पर इस तरह से हमारी मुलाकात फिर फिर हुई। फिर क्या था हर दिन उसके नाम से उठना और यह सोचना कि आज उसे किस तरह से परेशान करूं। इसी तरह हम धीरे-धीरे करीब आ गए पर मुझे ऐसा लगा कि वह मुझसे कुछ छुपा रही थी जब मैंने उससे पूछना चाहा तो मुझे पता चला कि वह किसी और की अमानत है ।फिर क्या था उस दिन था उसका बर्थडे और मेरे हाथ में था उसके नाम से गिफ्ट समझ नहीं आ रहा था गिफ्ट दूं या अपने दोस्तों में बांट दूँ।
एक-दो दिन तो कैसे गुजरा कुछ पता तक नहीं था पर जब होश आया तब समझ गया कि कितना बड़ा चुतिया था। फिर क्या फिर से वही पुरानी वाली जिंदगी जिसमें मैं अपनी जिंदगी को नहीं समझ रहा था और वह मेरे मज़े ले रही थी। धीरे-धीरे समय बीतता गया और मैं अपने दोस्तों के बीच बाकि सब कुछ भूलता गया कहते है ना दोस्ती ऐसी चीज है जो सारे गम भुला दे।
समय भी गुजरता गया और मैं अपनी पढ़ाई कंप्लीट करता गया कुछ महीने बाद बारहवीं का रिजल्ट आने के बाद मेरी इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू हुई। कहते हैं ना कब किसकी जिंदगी पलटेगी कोई नहीं जानता। एक बार फिर मुझे प्
यार हो गया वह भी अपने एक टीचर से जो मुझे कॉलेज में पढ़ाने आती थी। हां बात तब की है जब मैं थर्ड सेमेस्टर की पढ़ाई करके घर गया था छुट्टियों में और जब वापस आया तो मुझे पता चला कि एक टीचर न्यू आई है जोकि मैनेजमेंट का सब्जेक्ट पढ़ाती है। एक अजीब सी खुशी थी मेरे अंदर और मैं तो छुट्टी कंप्लीट करके वापस कॉलेज गया और हमारे क्लासेस स्टार्ट हो गए।
उसकी खूबसूरती की तारीफ करो तो शायद मेरी लगदी ना पाऊं मगर हां इतना तो था उसमें कि मैं अपनी पढ़ाई भूल चुका था धीरे-धीरे मैं अपने समय पार करता गया उन्हें देखते देखते ,तब जाकर कि मैंने फेसबुक में ढूंढने की कोशिश की और वह मुझे मिल भी गई ।तो इस तरह हमारी बातें शुरू हुई मैं हर दिन उन्हें विश करता था और जब भी कॉलेज जाती थी तो देखता रहता। किसी कारणवश उन्होंने यह निर्णय लिया कि उन्हें सारे स्टूडेंट को अपनी फेसबुक से हटाना होगा जिसमें से मैं भी एक था तब मुझे थोड़ा सा बुरा लगा और इस बात का पता उन्हें चल गया तो उन्होंने मुझे अपने पास बुलाया और सब मुझसे पूछा, क्यों क्यों नाराज हो ?मेरे पास उसका कोई जवाब नहीं था बस मैंने उनसे इतना कहा कि अक्सर तकलीफ अपने ही देते हैं वरना औरों को क्या पता कि हमें तकलीफ किस चीज से । इतना सुनते ही उन्होंने मेरे गाल में एक थप्पड़ लगाया और कहा तुम्हें मुझसे इतनी हमदर्दी क्यों? मैं कुछ ना कह सका बस अपने देखता रहा तब उन्होंने कहा ठीक है मैं तुम्हें अपना नंबर देती हूं लेकिन तुम्हें फेसबुक से मुझे हटाना होगा। फेसबुक दरअसल मेरे लिए एक जरिया था उनसे बात करने का लेकिन अब तो उन्होंने मुझे अपना नंबर ही दे दिया था सच बोलू तुम मेरे अंदर खुशी की लहर थी लेकिन मैंने यह दर्शाया नहीं।
धीरे धीरे हम बात करते करते हैं कितने करीब आ गए हैं कि उन्हें भी मुझसे कब प्यार हो गया उन्हें भी पता ना चला और इस तरह से हमारी लव स्टोरी शुरू हुई फिर क्या था हर दिन कॉलेज जाना सिर्फ उन्हें देखने के बहाने उनसे बात करने के बाद जब वो क्लास आती थी लेने वह पढ़ाती थी और मैं उसे देखता था। मुझे परेशान करता था कभी-कभी तो ऐसा था कि जब मैं सामने होता तो पढ़ा भी नहीं पाती, मजबूरन मुझे क्लास से बाहर जाना पड़ता किसी कारणवश हमारा प्यार इतना मजबूत होता गया कि हम लोगों की नजर में आने लगे और वहां से न जाने मेरे कितने दुश्मन खड़े हो गए क्योंकि मैंने एक टीचर से प्यार कर लिया।
धीरे-धीरे मैंने अपनी पढ़ाई कंप्लीट की तब जाकर के मैंने उससे उसका हाथ मांगा ताकि हम हमेशा के लिए एक साथ हो सके अगर सच्चा प्यार इतनी आसानी से मिलता किसे है? और मेरी किस्मत तो ऐसी है कि हर मोड़ पर प्यार होता है पर वह पूरा नहीं हो पाता इस बार भी मेरी किस्मत मुझे अकेले मोड़ पर खड़ी कर दी और उसकी शादी उसके घर वालों ने कहीं और करा दी। अभी वह बहुत खुश है अपनी नई जिंदगी के साथ ,अपने पति के साथ ,अपने बच्चे के साथ, देखता हर रोज मैं उसे कभी फेसबुक के बहाने कभी इंस्टाग्राम के बाहर ।चाहता हूं मिलना उसे, पर यह सोचकर नहीं मिलता कि अब तो वह किसी और की अमानत है। मैं तो पहले भी अकेला था अभी अकेला हूं, बस छोटी सी दास्तान है मेरी अब तक की जिंदगी की ,पता नहीं अगला मोड़ कौन सा होगा जब मुझे फिर से इश्क होगा।