चतुर गरीब
चतुर गरीब
एक समय की बात है, रामपुर नामक गांव का एक राजा था, जिसका नाम धनकुट्टी था। वह अत्यंत लालची राजा था। उसकी एक सुंदर बेटी थी जिसका नाम संगीता था। उस लड़की की शादी की उम्र हो गई थी इसलिए राजा ने यह सोचा की वह एक कार्यक्रम रखें जिसमें वह अपनी बेटी के लिए कोई लायक राजकुमार ढूंढे। यह बात सुनकर बहुत से राजकुमार रामपुर गांव में आए पर पर राजकुमारी को एक भी लड़का पसंद नहीं आया, बहुत समय बाद एक गरीब आदमी आया जिसके पास ना ढंग के कपड़े थे ना सुंदर रूप। जब सभी राज्य वासियों ने उसे देखा तो सब हंसने लगे क्योंकि यह ऐसा कार्यक्रम था जिधर सिर्फ राजकुमार को ही उस राजकुमारी के लिए चुना जाना था।
जब राजा ने पूछा कि तुम यहां क्या कर रहे हो तब उसने जवाब दिया की मैं आपके बेटी से शादी करने आया हूं। यह सुनकर राजा और सभी राज्य वासी आश्चर्यचकित हो गए, राजा ने हंसकर पूछा की तुम्हें ऐसी क्या खूबी है कि मैं मेरी बेटी की शादी तुमसे कर दूं। तुम्हारे पास ना ढंग के कपड़े हैं ना अच्छी संपत्ति तो मैं कैसे अपनी बेटी की शादी तुमसे कराऊंगा। ओ गरीब आदमी ने हाथ जोड़कर राजा को जवाब दिया कि भले ही मैं गरीब हूं पर मैं आपके बेटी को संभाल के रखूंगा। उसने आगे कहा कि मैं आप मुझे एक दिन इस महल पर अवकाश करने दीजिए अगले ही दिन आप अपना निर्णय घोषित कीजिए।
राजा ने उसे एक दिन महल मैं रहने के लिए परवानगी दी। शाम को राजा ने अपने मंत्रियों से पूछा की क्या मैं गरीब से अपनी बेटी की शादी करवाओ कि नहीं। एक मंत्री ने जवाब दिया की आप अपनी बेटी की शादी उससे मत कीजिए आप सिर्फ यह निर्णय दीजिए कि तुम्हारे पास कोई अच्छी संपत्ति नहीं है इसलिए मैं मेरी बेटी की शादी तुमसे नहीं करवा लूंगा। यह निर्णय घोषित करने के बाद हम आपके हां में हां मिला देंगे।
अगले ही दिन जब राजा निर्णय घोषित करने ही वाले थे गरीब ने बताया कि आपके पास मेरे पापा का कर्ज बाकी है और कर्ज़ ना देने की वजह से हमारा यह हाल है। और वह कर जा कोई छोटी मोटी रकम का नहीं बल्कि पूरे 50000 स्वर्ण मुद्राओं का है।
यह सुनकर राजा हैरान हो गए। फिर वह गरीब आदमी ने उनका दिल चलाते हुए कहा की आप अपनी बेटी की शादी मुझसे करवा दे फिर आपको यह धनराशि नहीं देनी पड़ेगी पर मेरी एक अनु कामना है की आप थोड़ी सी धनराशि मुझे दे दे ताकि मैं आपकी बेटी को संभाल सकूं। राजा के पास कोई विकल्प नहीं था इसलिए उसने अपनी बेटी की शादी गरीब आदमी से करवा ही दी और हंसते हंसते अपनी बेटी को रवाना किया।