Bhoot Ki Kahani | चार दोस्तों
Bhoot Ki Kahani | चार दोस्तों


कहते हैं जिसने जैसा सोचा उसने वैसा पाया, यह कहानी भी ठीक इसी तरह का है, जिसमे 4 दोस्त है, और सभी दोस्त शराब से बहुत ज्यादा प्यार करते हैं, इनके घर पर सब लोग बोल थक गए थे, लेकिन इन लोगों ने नहीं सुनी। लेकिन इन्हे नहीं एक दिन इनके जिंदगी पूरी तरह से बदलने वाला है।
हमेशा काम के बाद 4 दोस्त पास के पान के टापरी पर मिलते थे, और फिर वहां से उनकी दारू पीने का प्रोग्राम शुरू होता था, हर दिन यह ऐसा ही करते थे, हाँ बीच में गांव के कुए के पास रूक जाते थे, बातें करते थे, दोस्त दोस्त आपस मैं मज़ाक मस्ती किया करते थे।
यह वही कुआँ था जिसके बारे में लोग बोलते थे, की वहां भूत रहता है, रात को अगर कोई इंसान उस कुआँ के पास जाता कभी वापस लोट कर नहीं आता है। हलाकि यह बात कितना सच था यह कोई नहीं जनता था, क्योंकि कोई भी उस कुँए के पास रात को नहीं जाता था, और यह 4 दोस्त भी शाम होते ही उस कुए के पास से लौट आते थे।
फिर एक दिन एक नया मूड आया, जो पूरे गांव को हिला देने वाला था, ऐसे किस्से कहानी बचपन
मैं हमें बहुत डरते है, जब हम लोग भूत का नाम सुनते हैं , तो मन मैं एक डर बैठ जाता है, और यही डर जीवन भर रह जाता है। और हम भूत पर यकीन भी करने लग जाते हैं , और हमारे इस डर का फ़ायदा बहुत लोग उठा लेते है।
यह 4 दोस्त हमेशा के तरह व्यस्त थे, और आज श्याम को ऑफ़िस में प्रोमोशन मिला है, और इस ख़ुशी मैं चारों दोस्तों ने श्याम से पार्टी लेने की जिद की, शाम हुई तो चारों दोस्त पान के टापरी पर मिले, लेकिन आज अचानक दारु का दुकान बंद था, और दूसरा दारू दुकान बहुत दूर था, तो चार दोस्तों वहां चले गए, दुकान पर पहुँचने के बाद चारों दोस्तों ने जम कर पिया, और उतने ही में श्याम बोला।
श्याम –" आज मैं बहुत खुश हूँ, इसलिए आज मैं डबल पार्टी दूंगा",
दूसरा दोस्त –" हाँ हाँ क्यों नहीं ज़रूर।"
उतने ही मैं दुकान वाला बोला "अब समय बहुत है, अब दुकान बंद करना है, तो तुम लोग जाओ।" इसलिए चारों ने तय किया कि हम लोग दारू लेकर चले जाते हैं बाहर कहीं पी लेंगे। सभी ने हामी भरी।
रस्ते पर चलते चलते अचानक सबके दिमाग में आया कि यार घर पर कैसे दारू लेके जायेंगे, यह तो गड़ब
ड़ हो गई,
इतने ही मैं श्याम बोला की "अरे है न अपना पुरा अड्डा, गांव का कुआँ। वहां चलते हैं बहुत मजा आएगा।"
यह सुन कर सबने बोलै की नहीं भाई वहां भूत है, हम नहीं जायेंगे, तो श्याम ने कहा "क्या यार बच्चों जैसी बात करते हो,भूत जैसा कुछ नहीं होता, तुम लोग खामखा डर रहे हो।"
यह सुन कर बाकी दोस्तों ने कहा की अच्छा अगर तुम इतना कहे रहे हो, तो पहले तुम जाओ, और वहां से वापस आके दिखाओ, तो हम मानेंगे, एक दोस्त ने कहा।
दोस्त – "देख भाई कुआँ के पास जाना और वहां पर कुछ निशानी रख कर आना नहीं तो हम कैसे मानेंगे की तुम कुआँके पास गए थे।"
यह सुन कर श्याम कुआं के तरफ चल पड़ा, हलाकि श्याम भी थोड़ा डरा हुआ था, लेकिन अपना इज़्ज़त बचने के लिएवो अकेले कुआं के तरफ चल पड़ा।
कुआँ के पास पहुँचने के बाद उसे याद आया की दोस्तों ने कहा था की कोई निशानी रखना है, इसलिए वो सोचने लगा, पहले तो वो एक लकड़ी को वहां पर रहा, लेकिन फिर सोचा अगर लकड़ी रखा तो कोई नहीं मानेगा, कि यह मैने रखा है, डरते डरते स्याम कुछ ऐसा ढूंढ़ने लगा जिससे उसके दोस्त उसपर यकीन करें।
सुनसान रात थी ऐसे मैं डर लगा स्वभाविक है, श्याम भी काफी दर चुका था, और डरते डरते खोज कर रहा था, अचानक उखिला मिला, उसने सोचा की इस खिले को मैं कुँए पर गाड़ देता हूँ, यह पक्का सबूत होगा।
तो श्याम ने जल्दी जल्दी एक पत्थर से खिला को ठोकने लगा, जैसे ही खिला पूरी तरह से अंदर चला गया तो श्याम जोर से भागने लगा, लेकिन डर और जल्द में स्याम ने खिले को अपने कपड़े के साथ कुँए पर ढोंक दिए था, इसलिए जब श्याम भागने लगा तो कपड़ा कील के वजह से खींचने लगा। श्याम को लगा की यह भूत है, जो मुझे अपने तरफ खींच रहा है, और श्याम बहुत ज्यादा दर गया, डरके मारे चीखने
लगा “बचाओ बचाओ ” लेकिन सुनने वाला कोई नहीं था, और आखिर मैं श्याम को दिल का दौरा पद गया और उसकी मौत हो गई!
सुबह जब गांव वालों को पता चला तो उन्हें भूत वाली बात पर और ज्यादा यकीन हो गया, और आने वाले कई पीढ़ी तक यह कहानी चलती रही, बच्चों को सुनाई गई। लेकिन यहाँ पर किसी का भी जीत नहीं हुई, सिर्फ इंसान अपने घमंड के वजह से कभी कभी कुछ ऐसा काम कर जाता
है, जो उसी के लिए भरी पड़ जाता है।