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JATIN KUMAR

Children Stories

4.8  

JATIN KUMAR

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बारिश में यादगार बचपन

बारिश में यादगार बचपन

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आज के बच्चे का क्या जाने बारिश का मज़ा जब हम छोटे थे घर पर कभी भी बिना भीगे नहीं जाते थे। डांट भी पड़ती थी, मार भी पड़ती थी लेकिन उन बारिश के मौसम में भीगने का अनुभव आज तक कही नहीं मिला और न ही मिल सकेगा। पर्यावरण को नुकसान पहुंचने के बाद प्रकृति को भी तो अपना बदला लेना है। जो मनुष्य ने किया उसका फल भी तो मिलना चाहिए।

जब हम छोटे थे तब बारिश का मौसम समय पर आता था। वर्षा ऋतु में भीगते हुए अपने विद्यालय जाने और भीगते हुए ही वापिस आना। कौन भूल सकता है अपने बचपन को। मुझे याद है जब मैं कक्षा दूसरी में था उस साल बहुत बारिश हुई थी। देश में कई जगह बाढ़ तक आ गयी थी। बहुत से लोगो को अपने घर से बेघर होना पड़ा था। बारिश हो रही थी मैं बार बार अपनी कक्षा की खिड़की से बहार देख रहा था। बहार जाने का मन हो रहा था। बारिश में भीगने का मन हो रहा था। कक्षा में जो शिक्षक पढ़ा रहे थे उसमे मेरा बिलकुल भी ध्यान नहीं था। मेरा ध्यान था बहार कैसे जाना है। कैसे बारिश के मज़े लेने हैं।


बारिश के खुशबू ऐसी खुश्बू है जो बारिश में ही मिल सकती है दुनिया में और कही नहीं मिल सकती। किसी को भी कैसा भी दुःख हो न वो भी उस खुश्बू से दूर हो जाता है। शिक्षक ने मुझे टोका और बोले बाहर कहाँ देख रहे हो। यहाँ पढ़ाई पर ध्यान दो। मैं डर गया। कैसे भी करक

े मैने विद्यालय के वो ५ घंटे कटे। ख़ुशी की बात ये थी की बारिश अभी हो रही थी और मेरा घर भी थोड़ा दूर था। जैसे ही विद्यालय से निकला वैसे ही मुझे आत्म संतुष्टि। अब मैं बारिश में भीग सकता। कूद कूदकर नहा सकता हूँ। मतलब कुछ भी कर सकता हूँ कोई रोकने वाला नहीं। घर दूर था बारिश भी हो रही थी रिश्ते में अनजान दोस्त भी मिल गए उनके साथ बारे हुए पानी में कुदना। थोड़े से पानी में तैरने की कोशिश करना। मुर्गी जैसे नाचना। बेफिक्र हो कर रहना। घर पहुंचा बहुत डांट पड़ी।

उस के बहुत कारण थे पहला बारिश में भीगना, दूसरा किताबों का ख्याल न रखना, तीसरा जब माँ मुझे लेने गयी थी लेकिन उनके विद्यालय पहुंचने से पहले मैं घर की तरफ निकल गया था। डांट भी पड़ी और दो थप्पड़ भी पड़े। मैं बहुत रोया उस दिन लेकिन जो मुझे भीगने में ख़ुशी मिली थी उसने मुझे रोने से रोक लिया। माँ ने फिर मुझे खाने के लिए बुलाया। मैं गया खाने में प्याज़ के पकौड़े थे। प्याज़ के पकौड़े बारिश में मिल जाये चाय के साथ तो उसका आनंद तो वही जनता है जिसने इसका अनुभव लिया हो। तब से अब तक सिर्फ तीन बार बहुत तेज़ बारिश हुयी है वैसे तो सिर्फ नाम के लिए होती थी।आज वो बारिश कहाँ होती है जिसका अनुभव मैने कक्षा पहली में लिया था। और न ही आज के बच्चे जान पाएंगे पहली की बारिश में क्या मज़ा आता था।



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