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वक़्त मसरूफ़...

वक़्त मसरूफ़ रहा मुझे आज़माने में, मैं ख़ामोश रहा सब जान कर भी अनजाने में, सफर दर सफर शाम ढलती रही शब के आने में, वो रूठती रही, मैं मनाता रहा उसे हर पल के जाने में...... लेखक:नितिन शर्मा

By Nitin Sharma
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