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वो मुंह...

वो मुंह मोड़ने के, इंतजार में थे। और मैं उनके मिजाज बदलने के। बदला तो कुछ भी नहीं, बस अरमां राब्ता हो गये, न तुम मेरे हो सके, न मैं तुम्हें भूल सकी। कमबख्त ख्वाबों में भी वो, दूसरो का ही हाथ थामते रहे। -Suneeta Gond

By suneeta gond
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