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तू...
तू जन्म ही लेती...
तू जन्म ही...
“
तू जन्म ही लेती है बिछड़ने,
तड़पने, ज़ुल्म सहने और
किसी कोने में बैठ सिसकने के लिए।
चल मुस्कुरा कठपुतली मान कर,
जन्म ही हुआ है रोने के लिए।
”
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