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तू जन्म ही...

तू जन्म ही लेती है बिछड़ने, तड़पने, ज़ुल्म सहने और किसी कोने में बैठ सिसकने के लिए। चल मुस्कुरा कठपुतली मान कर, जन्म ही हुआ है रोने के लिए।

By suneeta gond
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