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वो मेरा जो...

वो मेरा जो एक ख़्वाब था वो आज भी पलकों में समाया है अश्कों के मोती गिरतें रहतें पर ख़्वाब नयनों में बसाया है मुसलसल तकलीफ़े सहतें-सहतें ख़्वाबने हर बार रूलाया है काँटो पे चलकर भागती ज़िंदगी को फिर ख्व़ाबने ही बुलाया है Deepali Mathane.......

By Deepali Mathane
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