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'वंदन' ###### "संस्कृति की वाहिका है माँ, मुक्ति की तो निकेतन है माँ | जन्मदात्री भी है और शक्ति की प्रतिमूर्ति है माँ, सुख, शान्ति, समृद्वि और ख़ुशहाली की प्रतीक है माँ |" स्वरचित ✍️✍️✍️डॉ गरिमा त्यागी

By अक्षरश : हिंदी साहित्य Dg
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