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उम्र को जी...

उम्र को जी कर भी, जीवन जिया नहीं उसने। सब कुछ सह कर भी, उफ्फ तक किया नहीं उसने। किस्सा दर्द का था कुछ ऐसा, कि सुनकर कलम भी रो पड़ी। जमाना जान गया सब। लेकिन अंजान रहा वो हमदर्द होने का वादा किया जिसने। 🖋️ विक्रांत

By Vikrant Kumar
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