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उम्मीद रख...

उम्मीद रख क़ायम, कर्म अपना तू करता जा बाण चाहे चूक भी जाए, ऊँचे निशां तू रखता जा अर्जुन बन या कर्ण यहाँ, साथ सारथी रखता जा अपने हो या गैर सभी, इंसान की परख तू करता जा!

By Nirmita Vaishnav
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