जो बात अँधेरी रात सिखाती है वह शायद उजालो से भरा दिन न सिखाये.. लेकिन फिर भी दुआ है मेरी, किसीको देख तू सीखले यहाँ.. अँधेरी रात ना तेरे नसीब आये!
उम्मीद रख क़ायम, कर्म अपना तू करता जा बाण चाहे चूक भी जाए, ऊँचे निशां तू रखता जा अर्जुन बन या कर्ण यहाँ, साथ सारथी रखता जा अपने हो या गैर सभी, इंसान की परख तू करता जा!
ચાલ આપું તને આજે અદભુત નજરાણું, શબ્દો સજાવી પીરસું લાગણીઓનું ભાણું. સગપણ તો મજબૂત હતા, પણ માણસો કમજોર મળ્યા, નીર તો હતા સહું નદીઓના, પણ દરિયા બધે ખારા જડયા!