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तू नदीया के...

तू नदीया के पार है,और में अभी भी मजधार मे हू। मन से छोड़ दिया सब,दिखावे के लिये संसार मे हू। जिम्मेदारीओ की बेड़िया हे,जानता हू कतार मे हू। कभी ना जन्म हो फिर उस मृत्यु के इंतजार मे हू। विपुल प्रीत

By Vipul Borisa
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