Vipul Borisa
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I am write my thoughts only,i am not a professional writer,but i learnt gazals some how and i also wrote some gujarati gazals in Chhand also.

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तू नदीया के पार है,और में अभी भी मजधार मे हू। मन से छोड़ दिया सब,दिखावे के लिये संसार मे हू। जिम्मेदारीओ की बेड़िया हे,जानता हू कतार मे हू। कभी ना जन्म हो फिर उस मृत्यु के इंतजार मे हू। विपुल प्रीत

उजड़ तो चूकी अब गुज़र जाये तो अच्छा जींदगी की शाम यू ही ढल जाये तो अच्छा कितनो के दिल बहलाने के काम आया हू, अब,बस आग मे ये जल जाये तो अच्छा। विपुल प्रीत

हुस्न की तो फिदरत हे,वो तुजे छोड़ेगा जरूर तू काच का हे आइना,वो तुजे तोड़ेगा जरूर विपुल प्रीत

हुस्न की तो फिदरत हे,वो तुजे छोड़ेगा जरूर तू काच का हे आइना,वो तुजे तोड़ेगा जरूर विपुल प्रीत

अब वो दौर वो ज़माने कहाँ, हम भी अब वो दीवाने कहाँ पहले बैठ जाते थे कही भी, अब वो पुराने ठिकाने कहाँ। विपुल प्रीत

छाता ले के निकलू बारिश मे,तो भी भीग जाता हू। इसी वजह से में अब अपनी किस्मत को नही आजमाता हू। विपुल प्रीत

तुमे जो लगता अकाल है। वो सही मे कर्म की चाल है। विपुल प्रीत

तू बे-वक़्त उस मुकाम पे गया हे मुज को छोड़ के, जैसे जाता हे कोई काच का बरतन आधा तोड़ के। विपुल प्रीत

तू बे-वक़्त उस मुकाम पे गया हे मुज को छोड़ के, जैसे जाता हे कोई काच का बरतन आधा तोड़ के। विपुल प्रीत


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