कुछ तो ऐसा लिखा हे मेने, जो ता-उम्र किसीको याद रहेगा इतना तो यकीन हे मुजे खुद पर, कुछ तो हे जो मेरे बाद रहेगा। -विपुल प्रीत-
घाँव पे इतना मरहम रहता है। उसकी यादों का करम रहता है। यू तो बसर हो जायेगी जींदगी, मौत का डर अब कम रहता है। विपुल प्रीत
શું કહું હવે હું તને એ એક જણ વિશે, ફૂલ છે ત્યાં,ખબર છે તેને એ રણ વિશે! મૌન નો મોભો અલગ છે,સંવાદ કરતા, એને ક્યાં સમજ મારી સમજણ વિશે. વિપુલ પ્રીત
हमने रोका हे,उन्हें तो आना है। हमें अब उस राह नही जाना है। खुदाया इतना करम कर दे,बस बहोत हुआ,अब तो मर जाना है। विपुल प्रीत
तू नदीया के पार है,और में अभी भी मजधार मे हू। मन से छोड़ दिया सब,दिखावे के लिये संसार मे हू। जिम्मेदारीओ की बेड़िया हे,जानता हू कतार मे हू। कभी ना जन्म हो फिर उस मृत्यु के इंतजार मे हू। विपुल प्रीत
उजड़ तो चूकी अब गुज़र जाये तो अच्छा जींदगी की शाम यू ही ढल जाये तो अच्छा कितनो के दिल बहलाने के काम आया हू, अब,बस आग मे ये जल जाये तो अच्छा। विपुल प्रीत