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तुम्हारी लड़ाई कितना निश्चल होता है ना ! तुम्हारी लड़ाई में सब कुछ होता है, तुम्हारी लड़ाई में क्रोध का अतिरेक नहीं होता ! तुम्हारी लड़ाई में तर्क भी होता है, वेदना भी होती है और उलाहना भी! यही कारण है की हर बार मैं तुम्हारी लड़ाई में पराजित होना ही स्वीकार करता हूं, क्यूंकि इसके सिवा मे
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