“
तुम्हारे बातों से न जाने क्यों ये दिल टूटने सा लगा है ,
आखों में पानी लेकर भी , ये लब हसने लगा है ,
तुम भी सारे ज़माने के तरह ही हो ,
वक्त आने पर छोड़ जाओगे , दिल में जख्म दे कर ....,
पता नही गलती क्या है मेरी ....,
फिर भी रोती ही रह जाएगी आंखे ये मेरी ...।
फिर भी ....
में सिर्फ तुम्हारी हूं , और
तुम्हारी होकर ही मरना चाहती हूं ....।
Priyadarsini Das
”