“
तुम जब भी लब खोलोगे
और उनसे लफ्ज़ों में कुछ बोलोगे
धड़कनों की भी एक रफ्तार होगी
नजरें तुम्हारी उनके नज़रों में गिरफ्तार होगी
चाहोगे तो तुम नज़रे उनसे चुराना
लेकिन उस लम्हे हया की पार हर दीवार होगी
और भूल जाओगे तुम क्या कहेगा ज़माना
क्योंकि कुछ चीज़ें आज़ाद रहती हैं,
और आज़ाद ही रहती हैं।।
”