“
तोड़ दी जाती हूं मैं ,
वैसे ही जैसे गुल्लक के भर जाने पर
तोड़ दिया जाता है और उसका पतन हो जाता है...|
छोड़ दी जाती हूं मैं ,
वैसे ही जैसे एक पालतू कुत्ते को
उसका मालिक छोड़ देता है
अपने नाम का पट्टा डाल के ...|
रोक दी जाती हूं मैं,
वैसे ही जैसे खरीदे हुए गुलाम को रोक दिया जाता है अपने अधिकार से ...|
होती है यह बातें आज भी......
सबके सामने होती है ............
सबसे छुप के होते हैं..!!!!
”