I'm Vidya and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsतोड़ दी जाती हूं मैं , वैसे ही जैसे गुल्लक के भर जाने पर तोड़ दिया जाता है और उसका पतन हो जाता है...| छोड़ दी जाती हूं मैं , वैसे ही जैसे एक पालतू कुत्ते को उसका मालिक छोड़ देता है अपने नाम का पट्टा डाल के ...| रोक दी जाती हूं मैं, वैसे ही जैसे खरीदे हुए गुलाम को रोक दिया जाता है अपने अधिकार से ...| होती है यह बातें आज भी...... सबके सामने होती है ............ सबसे छुप के होते हैं..!!!!