Vidya Tripathi
Literary Captain
6
Posts
0
Followers
0
Following

I'm Vidya and I love to read StoryMirror contents.

Share with friends

तोड़ दी जाती हूं मैं , वैसे ही जैसे गुल्लक के भर जाने पर तोड़ दिया जाता है और उसका पतन हो जाता है...| छोड़ दी जाती हूं मैं , वैसे ही जैसे एक पालतू कुत्ते को उसका मालिक छोड़ देता है अपने नाम का पट्टा डाल के ...| रोक दी जाती हूं मैं, वैसे ही जैसे खरीदे हुए गुलाम को रोक दिया जाता है अपने अधिकार से ...| होती है यह बातें आज भी...... सबके सामने होती है ............ सबसे छुप के होते हैं..!!!!

गुस्ताख दिल है हां.. गुस्ताख ही तो है गुस्ताख ना होता तो मदहोशी के आलम को प्रेम ना समझता

आंखों के अफसाने वही पढ़ सकता है ,जिसने इन आंखों को अफसाना बना कर छोड़ दिया|


Feed

Library

Write

Notification
Profile