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तेरे प्यार...

तेरे प्यार की मारी मैं, अब दर-दर की ठोकरें खा रही हूँ तुम तो ठहरे झूठे प्यार वाले, मैं तो मरती जा रही हूँ यूँ किसी को झूठा दिलासा देना मुझे तो नहीं आता पर मैं क्या करूँ जो भोली होने के कारण, पछता रही हूँ।

By Guneet Malik
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