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स्वप्न सदृश...

स्वप्न सदृश तो ही है यह जग सारा, परिस्थितिजन्य है अभिनय हमारा। न चिंता न अवसाद न कोई निराशा, सदा जागृत रखें मन में सशक्त आशा। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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