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शब्द कम पड़ जाते है जब हमें कोई गलत समझे और हमारे पास सही साबित होने के लिए वो शब्द ही ना हो।
जिसे हम पसंद करते है उसकी हर गलती को हम बड़ी आसानी से माफ़ कर देते है या यूं कहें कि उसकी कोई भी गलती नजर ही नहीं आती और जिससे हम नफरत करते है उसकी खूबियां भी कमी ही नज़र आती हैं, उसे नीचा दिखाने की हर संभव कोशिश करते है। उसे नीचा दिखाने के बाद दुःख पहुंचाने के बाद बड़ा सुकून महसूस करते हैं।अमृता साई tris
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