Amrita Rai
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शब्द कम पड़ जाते है जब हमें कोई गलत समझे और हमारे पास सही साबित होने के लिए वो शब्द ही ना हो। जिसे हम पसंद करते है उसकी हर गलती को हम बड़ी आसानी से माफ़ कर देते है या यूं कहें कि उसकी कोई भी गलती नजर ही नहीं आती और जिससे हम नफरत करते है उसकी खूबियां भी कमी ही नज़र आती हैं, उसे नीचा दिखाने की हर संभव कोशिश करते है। उसे नीचा दिखाने के बाद दुःख पहुंचाने के बाद बड़ा सुकून महसूस करते हैं।अमृता साई tris

अब नहीं आओगे क्या जा रहे दूर तो हमे भूल जाओगे क्या उम्र भर दोस्ती निभाने की बात थी अपने किए वादे को भूल जाओगे क्या।।अमृता

कहते है लोग वो गलत था उसने मेरे साथ गलत किया गलत करने का मौका किसने दिया जब हम मौका देते है तभी तो उसने हमारे साथ गलत किया।।अमृता

हमसे रिश्ता बनाना है तो सोच समझ कर बनाना हमसे रिश्ता बनाने के बाद किसी और से रिश्ता बना नहीं पाओगे,, हमसे दिल लगाना है तो सोच समझ कर लगाना दिल में हमे बसाओगे तो किसी और को बसा नहीं पाओगे।।अमृता

औरों की तरह नहीं बनना है हमें खुद को नहीं छलना हैं हम जो है जैसे है वैसे ही बने रहना है ना किसी और के सांचे में ढलना है ना ही हमें बदलना है।।अमृता

लोग कहते है हर खूबसूरत चीज बेवफा होती है कोई हमें यकीन दिलाएगा कि हर बदसूरत चीज वफादार होती है।। अमृता

खुशफहमियाँ कितनी अच्छी होती है मन को सुकून देती है लेकिन जब हकीकत से सामना होता हैं तो सुकून से ज्यादा तकलीफ भी देती है।।अमृता

तुम बहते रहते हो हम ठहरे रहते है तुम हवा के झोंके हो तुम्हें ना रुकना आता है हम पत्थर से है हमें ना बहना आता है दोनों नदी के दो किनारे है जिसे ना मिलना आता है।।अमृता

इश्क क्या है जैसे गुड़ की मीठी डली इश्क की बाते जैसे खट्टी मीठी आम की फली इश्क का सफर जैसे मां की गली इश्क की यादें दिलजली इसलिए कभी ना जाना इश्क की गली जहां सुकून खो कर सिर्फ तड़पन ही मिली।।अमृता


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