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शब्द बही,...

शब्द बही, यादों के झोके बहुत है अपनापन कुछ मलहम,कुछ अधूरी ख्याईशे बहुत है जब भी लिखने बैठ जाती हूँ बिन कहे अल्फाज तेरे लिख देती हूँ समझ शून्य, सवाल बहुत है!! अल्पी✍️✍️

By Alpi Varshney
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