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शाम के सुरमई उजाले में
जब हम सब भाई बहन बैठ कर बातें किया करते थे
क्या वो पल थे जिसको हम मिलकर जिया करते थे
लौट कर नहीं आते अब वो पल
चाह कर भी नहीं रह पाते हम संग
फासले दिलों के है या है समय की दूरियां
किसी को नहीं है खबर
एक वक्त था जब ना मायने रखती थी दूरियां ना रोक सकती थी कोई मजबूरियां
क्या अब आप लोगों का मन नहीं करता उन पलों को जीने का जब हम सब मिला करते थे।।अमृता
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