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रोज शाम...

रोज शाम चांद से मिलने की ख्वाहिश हो जाती है, इन आसमानों में मेरे लिए साजिश हो जाती है ll तंग आ चुका हू में इन बादलो के जलने से अब, जब भी वो छत पे आती है बारिश हो जाती है ll :- शिवांश पाराशर "राही"✍️ #hindiquotes #urdupoetry #hindipoetry #बटोही #raahi

By शिवांश पाराशर "राही"
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