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रोई थी वो...

रोई थी वो रातभर, उसके बदन से चिपटकर। जो आया था शाम को ही, तिरंगे में लिपट कर । अरे! क्या दोष था उसका ? जो रह गया यादों में सिमट कर। :-अजीत दलाल

By Ajeet dalal
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