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रक्त...
रक्त की नदियों...
रक्त की...
“
रक्त की नदियों से चली अभिज्ञता की नाव।
जिसका ना कोई अंत है, ना किनारों की छांव।
चीरकर गर निकलना चाहोगे इनसे तो,
गन्तव्य ही मिलेगा, भर जाएगें घाव।
”
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