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रिमझिम बरखा...

रिमझिम बरखा झर झर झरे आँसू अब के बरस न आ पाऊंगी भैया। इस राखी है आई कोरोना विपदा बांध कलावा मान राखी तू कलैया।। रंजना माथुर अजमेर (राजस्थान) मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

By Ranjana Mathur
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