Ranjana Mathur
Literary Colonel
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माँ शारदे के आशीर्वाद से कलम मेरी शक्ति

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"लुटा दी लाख अत्फें रब ने दुनिया को सजाने में। बड़ी ही नेमतें बिखरी हैं कुदरत के खज़ाने में।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"हम भारत वासियों की सनातन संस्कृति पूर्णतः प्रकृति आधारित है। हम प्रकृति के पूजक हैं। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"प्रकृति है सहचरी हमारी मानवता उसको है प्यारी! उसके प्रति बना तू दानव फिर देखना उसका तांडव!" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"दुनिया दर्दों की इक रवानी है। हंसकर उम्र फिर भी बितानी है।।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"मुफ़लिसी तो मेरे यार ख़ुद ही इक मर्ज़ है। वी जिएं या ना जिएं यहाँ पर किसे गर्ज है।।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"आप अपनी ही निगाहों में गिरें है बड़ी इससे उक़ूबत ही नहीं" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"खुशी वह हिम्मत है जो पर्वत को राई बना देती है। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

"बिटिया वह संजीवनी है जिसके स्पर्श मात्र से संपूर्ण घर जीवंत हो उठता है। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©

नारी जहाँ थी पूजी जाती क्या बंधु यह वही है देश ऐसे हैं हालात विचरते भेड़िये बदल बदलकर वेश। अब दुर्गा का वीभत्स रूप धर असुरों का संहार हूँ दुष्टों पर भारी पड़ती जो मैं खुद वो तलवार हूँ । रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©


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