"लुटा दी लाख अत्फें रब ने दुनिया को सजाने में। बड़ी ही नेमतें बिखरी हैं कुदरत के खज़ाने में।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"हम भारत वासियों की सनातन संस्कृति पूर्णतः प्रकृति आधारित है। हम प्रकृति के पूजक हैं। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"प्रकृति है सहचरी हमारी मानवता उसको है प्यारी! उसके प्रति बना तू दानव फिर देखना उसका तांडव!" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"दुनिया दर्दों की इक रवानी है। हंसकर उम्र फिर भी बितानी है।।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"मुफ़लिसी तो मेरे यार ख़ुद ही इक मर्ज़ है। वी जिएं या ना जिएं यहाँ पर किसे गर्ज है।।" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"आप अपनी ही निगाहों में गिरें है बड़ी इससे उक़ूबत ही नहीं" रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"खुशी वह हिम्मत है जो पर्वत को राई बना देती है। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©
"बिटिया वह संजीवनी है जिसके स्पर्श मात्र से संपूर्ण घर जीवंत हो उठता है। " रंजना माथुर अजमेर राजस्थान मेरी स्वरचित व मौलिक रचना ©