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"मुफ़लिसी तो...
"मुफ़लिसी तो...
"मुफ़लिसी...
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"मुफ़लिसी तो मेरे यार ख़ुद ही इक मर्ज़ है।
वी जिएं या ना जिएं यहाँ पर किसे गर्ज है।।"
रंजना माथुर
अजमेर राजस्थान
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
©
”
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