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"पत्तों की...

"पत्तों की रौनक देख पेड़ इठलाया नहीं करते। चंद लम्हों की छटा देख राहगीर ठिठक तो जाते हैं पर डाली-डाली को पता है, ऋतु बदलते ही इनकी साख़ खाक़ में मिल जानी है।"

By Raj Mishra
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