"हर वो ग़ुरूर
एक वक्त के बाद ज़मींदोज़ होता है,
जो आध्यात्मिक संस्कृति को
एड़ियों की चोट पर रखकर
भौतिकता की जबरन खोज होता है।।"
©RajMishra
"नजरअंदाजी का बड़ा शौक था उनको
हमने भी तोहफ़े में उनको
उन्हीं का शौक़ दे दिया"
-----rajmishra
'लोगों' के डर से
मोहब्बत अबकी बार भी
हल्की नहीं करनी।
नुख़्स शायद मुझमें ही था कुछ
जो तुझे पहचान न सके,
अच्छा हुआ जो
तुम मुझे रुख़सत कर गए
चल, अबकी बारी
ये गलती भी नहीं करनी ।।
....rajmishra
अगर आपका 'धैर्य ज़वाब नहीं देता"
यकीं मानिए,
आपका धैर्य ही
ख़ुद-ब-ख़ुद एकदिन सबको
ज़वाब देगा।
"लिखते रहिये आप
मुक़द्दर मेरा,
रब ने अपनी कलम
मेरे हवाले कर दी है।"
-rajmishra
"पत्तों की रौनक देख
पेड़ इठलाया नहीं करते।
चंद लम्हों की छटा देख
राहगीर ठिठक तो जाते हैं
पर
डाली-डाली को पता है,
ऋतु बदलते ही इनकी साख़
खाक़ में मिल जानी है।"