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पत्थरों से...

पत्थरों से क्या पूँछते हो दर्द-ए-दिल की दवा, मुजरिम क्या बताएँगे गुनाहों की सजा, सूख जाता है तेरी रहमतों का दरिया भी इस कदर ऐ खुदा, कुछ रातों की तो होती भी नहीं सुबह...!

By Aarna 🖤
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