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आओ जरा...

आओ जरा सँवरकर इन्हें पलकों पर सजा लूँ, लम्हें ये बिखरे-से बेशक ही नायाब है, ख्वाहिशें नाचीज़ गुलज़ार की रखते नहीं तुझसे, अब तो तेरे महकते लफ्ज़ ही गुलाब है...!

By Aarna 🖤
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