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प्रफुल्लित...

प्रफुल्लित हर जन है ऋतु बसंत में, प्रकृति ने सुंदरता की गठरी खोली। तैयार फसलें देख हर्षित किसान है, खुशियों में चार चांद लगाती है होली। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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