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प्रेम तो...

प्रेम तो होती है चाहत सभी की, प्रेम बिन जग में बने न कोई बात। खुद से प्रेम कर ही कर सकेंगे सभी से, स्वप्रेम ही तो है प्रेम की जग में शुरुआत। @ डी पी सिंह कुशवाहा @

By Dhan Pati Singh Kushwaha
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