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"प्रेम नगरकी...
"प्रेम नगरकी...
"प्रेम...
“
"प्रेम नगरकी प्रेम मंझिल में,
प्रेमकी ज्योत ज़लाई है,
रुम झूम करके तुं आ ज़ाये तो
" मुरली",
ईश्ककी महेफ़िल सज़ानी है।"
-धनजीभाई गढीया "मुरली"
”
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