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पीले पीले...

पीले पीले सूरज के रंगों में घुली सी प्यासी प्यासी धरा के वर्षा मे धुली सी दरख्त के नीचे सोया कोई राहगीर है हाँ ये बंधी हुई कोई जागीर है --कंचन प्रभा

By Kanchan Prabha
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