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फिर याद...

फिर याद आया जब मैं उठी नींद से सिरहाने ना उसे पाया ख्वाब था उसका अहसास फिर याद आया जब भी सोचा उसको उसे हमेशा करीब पाया वो हो चूका था किसी और का फिर याद आया जब भी होठों ने मुस्कुराना चाहा खुद को तन्हा पाया जीना भूली क्योंकि वो जिंदगी था फिर याद आया

By Deepshikha Nathawat
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