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फिर छिड़ी...

फिर छिड़ी रात बात फूलों की, दिल से निकली आह फूलों की। तोड़ लो फूल माशूका के लिए, लेकिन करो परवाह फूलों की। सरगम भट्ट ✍️

By sargam Bhatt
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